जालंधर, 14 जून: क्या आपने कभी सोचा है कि एक महिला, जो न तो प्रोफेशनल एथलीट है, न ही जिसके पास महंगे शूज़ या पर्सनल ट्रेनर हैं, वो भारत की सबसे कठिन मैराथन में टॉप कर सकती है?
2004 में, जब उनके पति ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA), चेन्नई में तैनात हुए, पूजा की जिंदगी भी बदल गई। सेना के जीवन की कठिनाइयाँ, बार-बार की पोस्टिंग्स, बच्चों की परवरिश, और अकेलेपन के बीच — उन्होंने खुद को खोने के बजाय खुद को पा लिया।
🏃♀️ एक साधारण शुरुआत, असाधारण हौसला
कई सालों तक, वह गर्मियों की तपिश और सर्दियों की ठिठुरन में, पहाड़ी ढलानों पर दौड़ती रहीं — और साथ ही एक मां, गृहिणी और सैन्य अधिकारी की पत्नी के अपने सभी दायित्व भी निभाती रहीं।
🌟 कई रेस, एक मिशन
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टाटा मुंबई मैराथन
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वेदांत दिल्ली हाफ मैराथन
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बॉर्डर रन – अमृतसर
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अरावली ट्रेल रन
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टफमैन अल्ट्रा – मशोबरा
और फिर आया 7 जून 2025 — एक ऐसा दिन जिसने उन्हें सिर्फ धावक नहीं, "अल्ट्रा वॉरियर" बना दिया।
🏅 50 KM. 6 घंटे 23 मिनट. पहला स्थान।
🔥 पूजा क्यों खास हैं?
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वो पदक के लिए नहीं दौड़तीं, शक्ति के लिए दौड़ती हैं।
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उन्होंने साबित किया है कि एज, लोकेशन, या परिस्थिति कभी बाधा नहीं होती — बस बहाने होते हैं।
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वो एक "रोल मॉडल" बन चुकी हैं, खासतौर पर मिलिट्री कम्युनिटी में महिलाओं के लिए।
✅ सीखने वाली बातें:
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अगर पूजा कर सकती हैं, तो आप भी कर सकते हैं।
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फिटनेस का मतलब सिर्फ जिम नहीं, निरंतरता और हिम्मत है।
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असली प्रेरणा इंस्टाग्राम पर नहीं, जीवन के ट्रैक पर मिलती है।
✨ हर महिला जो दौड़ना चाहती है, उसके लिए पूजा एक प्रेरणा हैं।
🔍 क्या आप तैयार हैं अपनी रेस शुरू करने के लिए?
क्योंकि अगर पूजा कर सकती है - तो आप भी कर सकते हैं।
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